जलवायु परिवर्तन की समस्या तो हम पिछले 50 सालों से महसूस कर रहे हैं, लेकिन पिछले 20-25 वर्षों से इस सम्बंध में केवल बातें ही की जा रही हैं, धरातल पर ठोस कार्यवाही कहीं कुछ भी दिखाई नहीं दे रही है।
जलवायु परिवर्तन पर हुए पेरिस समझौते के अन्तर्गत, संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इस बात पर राज़ी हुए थे कि इस सदी के दौरान वातावरण में तापमान में वृद्धि की दर को केवल 2 डिग्री सेल्सियस तक अथवा यदि सम्भव हो तो इससे भी कम अर्थात् 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोक रखने के प्रयास करेंगे। उक्त समझौते पर समस्त सदस्य देशों ने, वर्ष 2015 में हस्ताक्षर किए थे। परंतु सदस्य देश, इस समझौते को लागू करने की ओर कुछ कार्य करते दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी कारण को ध्यान में रखते हुए एवं सदस्य देशों से यह उम्मीद करते हुए कि वे जलवायु परिवर्तन सम्बंधी अपने वर्तमान लक्ष्यों को और अधिक बढ़ाने की घोषणा करेंगे, संयुक्त राष्ट्र संघ ने जलवायु परिवर्तन पर एक शिखर सम्मेलन का आयोजन अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में दिनांक 23 सितम्बर 2019 को किया। इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत नवी ऊर्जा उत्पादन सम्बंधी अपने वर्तमान लक्ष्य 175 GW को दुगने से भी अधिक बढ़ाकर 450 GW करने का नया लक्ष्य निर्धारित करता है। माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने सभी सदस्य देशों का आह्वान किया कि जलवायु परिवर्तन सम्बंधी समस्या पर अपनी सोच में व्यावहारिक परिवर्तन लाएँ एवं इसे एक जन आंदोलन का रूप दें।